नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने नवीनतम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण का हवाला देते हुए दावा किया कि ग्रामीण व शहरी, दोनों क्षेत्रों में लोग अधिक समृद्ध हो रहे हैं. साथ ही भारत का गरीबी स्तर 5 प्रतिशत से नीचे गिर गया है.
दरअसल राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा शनिवार देर रात जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हो गया है, जो देश में समृद्धि के बढ़ते स्तर को दर्शाता है.
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में खपत ढाई गुना हुई है. उन्होंने बताया कि शहरी परिवारों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय 2011-12 के बाद से 33.5 प्रतिशत बढ़कर ₹ 3,510 हो गया, जबकि ग्रामीण भारत में 40.42 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो ₹ 2,008 तक पहुंच गया.
PM मोदी का भोंपू बन गया नीति आयोग
हालांकि नीति आयोग के इन दावों पर आम लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. इसके साथ ही विपक्ष नीति आयोग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रहा है. इससे पहले नीति आयोग ने दावा किया था कि पिछले नौ सालों में लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, जिसपर तंज कस्ते हुए कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि नीति आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भोंपू बन गया है.
नीति आयोग की रिपोर्टें फर्जी
जयराम रमेश ने पहले भी कहा था कि नीति आयोग की रिपोर्ट फर्जी है. यह रिपोर्ट झूठ है. नीति आयोग कोई स्वतंत्र संस्था नहीं है. नीति आयोग प्रधानमंत्री के लिए चीयरलीडर और ढोल बजाने वाला है. नीति आयोग द्वारा दिए गए आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. सभी विशेषज्ञों ने इसकी आलोचना की है.