Lok Sabha Election Turnout: लोकसभा चुनाव 2024 के 5 चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं. अभी छठे और सातवें चरण का मतदान बाकी है. वहीं इस बीच विपक्षी दल मतदान प्रतिशत के पूरे आंकड़े जारी होने में देरी को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. अब इस मामले में बुधवार (22 मई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कोर्ट में कहा कि वोटर टर्नाउट डेटा उम्मीदवार और उनके एजेंट के अलावा किसी के साथ भी शेयर करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है.
ADR ने दाखिल की याचिका
बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े (Lok Sabha Election Turnout) अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. जबकि इस याचिका के जवाब में दायर एफइडेविट में इलेक्शन कमीशन ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता का अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो यह न केवल कानूनी रूप से प्रतिकूल होगा बल्कि इससे चुनावी मशीनरी में भी अराजकता पैदा होगी, जो पहले ही लोकसभा चुनाव में जुटी है.
क्या हैं विपक्ष के आरोप?
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े कर रही हैं. उनका आरोप है कि आयोग मतदान के अंतिम आंकड़े सामने लाने में देरी कर रहा है और फिर वास्तविक समय के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर आता है. कांग्रेस का कहना है कि देश में वोटिंग के बाद मतदान प्रतिशत के बढ़ने का मामला गंभीर है. चार चरणों के चुनाव के बाद लगातार मतदान प्रतिशत के आंकड़ें बढ़ते गए और करीब 1 करोड़ वोट बढ़ गए. ये बात लोगों के मन में संशय पैदा करती है और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली पर सवाल खड़े करती है.
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