भाजपा के नेता विपक्षी गठबंधन के अंतर्विरोधों का मुद्दा बनाते रहते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन ने पहली साझा रैली करके ताकत दिखाई है और ज्यादातर राज्यों में सीट बंटवारा भी कर लिया है.
उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, दिल्ली और तमिलनाडु तक सीट शेयरिंग फाइनल है. बिहार, महाराष्ट्र आदि राज्यों में सहयोगी पार्टियों के बीच बातचीत हो गई है और यह लगभग तय हो गया है कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी. इससे उलट भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन एनडीए में सीट बंटवारा अभी तक अटका है.
सहयोगी पार्टियों में बेचैनी
किसी भी राज्य में अभी सीट शेयरिंग की बात नहीं हुई है, जिससे सहयोगी पार्टियों में बेचैनी है. बिहार में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में नहीं शामिल होकर दो सहयोगियों- चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने तेवर दिखाए. उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी सहयोगी परेशान हो रहे हैं तो पंजाब और आंध्र प्रदेश में अभी तक तालमेल की बात आगे नहीं बढ़ी है. तमिलनाडु में भाजपा फिर से अन्ना डीएमके से तालमेल की संभावना तलाश रही है.
महाराष्ट्र में शिव सेना (एकनाथ शिंदे) की पार्टी इस बात पर अड़ी है कि वह 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उसका दावा है कि पिछली बार शिव सेना 23 सीटों पर लड़ी थी और 18 पर जीती थी. इसलिए असली शिव सेना का दावा कम से कम 18 सीटों पर बनता है. दूसरी ओर भाजपा ने शिंदे गुट को 12 सीटों का प्रस्ताव दिया है, जिसे पार्टी ने ठुकरा दिया है. अमरावती की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा की सीट पर शिंदे गुट ने दावा किया है कि तो रत्नागिरी सीट को लेकर भी बात अटकी है. इसी तरह असली एनसीपी यानी अजित पवार की पार्टी भी आठ सीट पर राजी होती नहीं दिख रही है. मसला सुलझाने के लिए अमित शाह मुंबई पहुंचे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच क्रमशः 20, 18 और 10 सीटों की सहमति बन गई है.
भाजपा ने नहीं पूरा किया अपना वादा
बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टियां ज्यादा बेचैन हुई हैं क्योंकि नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद उनके लिए मुश्किल बढ़ी है. लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान और पशुपति पारस खेमे के अलावा जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से भाजपा ने पहले जो वादा किया था उसे वह अब पूरा करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि नीतीश कुमार इस बात पर अड़े हैं कि पिछली बार जीती 16 सीटों से कम पर वे नहीं लड़ेंगे.
टूट सकता है एलायंस
पिछली बार भाजपा और जदयू दोनों 17-17 सीटों पर लड़े थे. इस बार भाजपा 20 सीटों पर लड़ने की बात कर रही है. अगर एनडीए की तीनों पुरानी पार्टियां- भाजपा, जदयू और एकीकृत लोजपा अपने अपने हिस्से से कुछ सीटें छोड़ने पर राजी नहीं होते हैं तो एलायंस टूट भी सकता है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में भाजपा ने रालोद और अपना दल के लिए दो-दो और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक सीट छोड़ने का फैसला किया है.
रालोद के साथ साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर नाराज हैं. राजभर ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के 51 उम्मीदवारों की घोषणा के बाद हाल में सलेमपुर सीट के उम्मीदवार को लेकर एक रैली में विरोध किया है.