Haryana: लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा है. दरअसल, तीन निर्दलीय विधायकों ने नायब सिंह सैनी के नितृत्व में चल रही बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद अब सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है. तीनों निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लेने को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिख दिया है. बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाले तीन निर्दलीय विधायक हैं- पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान.
अल्पमत में आई बीजेपी सरकार
तीनों निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस ले लेने के बाद अब नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है. 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है. हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के अपने 40 विधायक हैं. अभी तक उन्हें 6 निर्दलीय और एक हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) विधायक का समर्थन था. हालांकि इनमें से एक निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला व पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. और अब इन तीन विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद अब बीजेपी के पास 43 विधायक बचे हैं, जो बहुमत से कम है.
अब आगे क्या?
बता दें कि 12 मार्च को नायब सिंह सैनी सरकार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अगले दिन यानी 13 मार्च को फ्लोर टेस्ट दिया था. अब नियम कहते हैं कि दो फ्लोर टेस्ट के बीच 6 महीने का गैप होना जरूरी है. इसके अलावा इसी साल मार्च 2024 में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी और अब दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भी 6 महीने का अंतर होना जरूरी है. हालांकि संविधान के जानकारों की मानें तो, विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 6 महीने का अंतर होने की अनिवार्यता का प्रावधान कहीं नहीं है. संविधान एक्सपर्ट का यहां तक कहना है कि अलग-अलग मुद्दों पर एक सत्र में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
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