Wholesale Inflation: अप्रैल में थोक महंगाई बढ़कर 1.26% हो गई है. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) डेटा के मुताबिक, यह महंगाई का 13 महीने का उच्चतर स्तर है. इस महंगाई की वजह खाने-पीने की चीजों, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों की बढ़ोतरी है. वहीं इससे एक महीने पहले मार्च में थोक महंगाई सूचकांक 0.53% रही थी. जबकि फरवरी में ये 0.20% और जनवरी में 0.27% रही थी.
अप्रैल में ये चीजें हुई महंगी
मार्च की तुलना में अप्रैल में कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (3.56%), खाद्द सामग्री (2.67%) और खनिज तेल (0.06%) की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. वहीं पिछले महीने की तुलना में अप्रैल में गैर-खाद्द चीजों (1.19%), खनिज (1.55%) और बिजली (1.20%) की कीमतों में गिरावट आई है.
कितनी रही महंगाई दर
मार्च के मुकाबले अप्रैल में खाद्य महंगाई दर 4.65% से बढ़कर 5.52% हो गई. वहीं, रोजाना की जरूरतों के सामानों की महंगाई दर 4.51% से बढ़कर 5.01% हो गई है. फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -0.77% से बढ़कर 1.38% रही. जबकि मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर -0.85% से बढ़कर -0.42% हो गई.
कैसे मापी जाती है महंगाई?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है- रिटेल और थोक. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है, जिसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. जबकि थोक महंगाई दर (Wholesale Inflation) उन कीमतों से होता है, जिसे थोक बाजार में एक कारोबारी द्वारा दूसरे कारोबारी से वसूला जाता है. इसे होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) कहा जाता है.
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